नमस्कार दोस्तों, जैसा कि भारत और चीन दोनों देश की सेना लद्दाख के गलवान घाटी में आमने सामने हैं यह गलवान घाटी ऑक्साइड चीन क्षेत्र में आता है। आखिर यह विवाद क्यों शुरू हुआ जब पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहा है, आज पूरे विश्व को एकजुट होना चाहिए लेकिन चीन इससे पीछे हट रहा है कहीं ना कहीं इसमें चीन की सोची समझी चाल है, परंतु आज हम लोग चीन और भारत के सीमा विवाद पर बात करेगें भारत और चीन की गलवान घाटी में जो सीमा है वह सिर्फ एक कागज पर मोटे एस्केच से खींची हुई लाइन है जिसे LAC कहते हैं।(लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) यह 4 से 5 किलोमीटर की एक बॉर्डर रेखा है जिस पर कोई निशानदेही नहीं किया गया है जैसा कि भारत और पाकिस्तान की सीमा LOC पर किया गया इसी कारण चीन 4 से 5 किलोमीटर की सीमा में अंदर घुस रहा है अब यह सीमा के आखिरी बिंदु को अपने हिस्से में लेना चाहता है चीनी सेना यही आखरी बिंदु पर पेट्रोलिंग करने आती है भारतीय सेना भी पेट्रोलिंग करने आती है दोनों सेनाओं का आमने सामने आना झड़प का बहुत बड़ा कारण बना तथा इसमें चीन की सोची समझी चाल थी उनके पास सैनिक ज्यादा थे और इस विवाद में हमारे देश के 20 वीर जवानों ने चीनी सैनिकों से लड़ते हुए बहादुरी से वीरगति को प्राप्त हुये और चीन के 43 सैनिक घायल हुए अभी इसकी कोई ऑफिशियल रिपोर्ट नहीं आई है चीन वैसे भी अपनी मीडिया में कुछ दिखता नहीं है, आज चीन से कई देशो का मनमुटाव है ताइवान की मीडिया में एक बड़ी अच्छी न्यूज़ छपी "भारत के भगवान राम ने चाइना के ड्रैगन को अपने बाणों से नष्ट कर दिया" अमेरिका भी चीन के खिलाफ है, फिर भी भारत को हमेसा सतर्क रखना चाहिए चीन का कोई भरोसा नहीं 1993 में जब भारत के प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव जी थे तब समझौता हुआ था की अब कोई भी देश हथियार का प्रयोग नहीं करेंगे लेकिन आज 45 साल बाद चीन इसको भूल गया इस समझौते को नहीं मान रहा है/ 1962 के बाद भारत और चीन का जब-जब सामना हुआ है तब तब चीन को मुंह की खानी पड़ी भारत के इलेक्ट्रॉनिक बाजार में लगभग 75% चीन का सामान है अगर हम अपने देश का सामान उपयोग करेंगे तो समझिए कि चीन की अर्थव्यवस्था को हम कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं इसलिए चीन को समझना चाहिए दोनों देशों के बीच बातचीत बहुत तेजी के साथ चल रही है हम लोगों को पूरा विश्वास है चीन समझेगा और अपनी सेनाएं पीछे हटा लेगा।
हम अपने देश के शहीद हुए सभी वीर जवानों को विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए अपने इस लेख को समाप्त करते हैं और यह आशा करते हैं कि चीन जल्द समझेगा ।
लेखक
गिरीश शर्मा
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