नई शिक्षा नीति (New Education Policy
भारत में आजादी के बाद 3 शिक्षा नीतियां आई पहला 1968 दूसरा 1986 तथा 1992 में इस दूसरी
शिक्षा नीति में कुछ परिवर्तन
किया गया था और अब तीसरी शिक्षा नीति 2020 में लायी गई है|
इसके अध्यक्ष
डॉ. कस्तूरीरंगन (Dr. Kasturirangan) जी है |
5 साल से बन रही यह शिक्षा नीति पिछले साल मई 2019 में पब्लिश कर दी गई थी और इस पर
M.H.R.D मिनिस्ट्री द्वारा सुझाव मांगे गए थे लगभग 125000 सुझाव प्राप्त हुए थे और उन सुझावों
को ध्यान में रखते हुए इस
शिक्षा नीति में कुछ परिवर्तन भी किया गया|
नई शिक्षा नीति के अनुसार अब HRD मंत्रालय को शिक्षा मंत्रालय कहा जाएगा |
अब हम बात करेंगे यह शिक्षा नीति किस-किस पहलुओं में बदलाव लायेगी यह शिक्षा नीति छ: चीजों
में बदलाव लायेगी जिसमे पहले तिन मुख्य रूप से है |
1- स्कूल शिक्षा School Education
2- भाषा Language
3- उच्च शिक्षा Higher Education
4- तकनीकी Technology
5- वित्त Finance
6- कार्यान्वयन Implementation
स्कूल शिक्षा
अभी तक जो हमारी स्कूल शिक्षा थी वह 10+2 की थी यानी कक्षा 1 से 10 तक के सभी बच्चे एक
जैसे विषय को पढ़ते थे और आखिर के 2 साल उन्हें अपने अनुसार विषय चुनना होता था लेकिन अब
5+3+3+4 का नियम लागू होगा इसमें पहले चरण में 5 साल (3+2) में 3 वर्ष प्री प्राइमरी के और 2
साल कक्षा 1 और 2 की पढाई होगी| दुसरे चरण में 3 वर्ष में कक्षा 3 से 5 के लिए है| तीसरा चरण 3
वर्ष यानी कक्षा 6 से 8 के लिये है | चौथा चरण 4 वर्ष तक के लिए है इसमें जो सबसे बड़ा बदलाव
है वह यह है कि
बच्चा नौवी से ही अपने अनुसार विषय को चुन सकता है|
में से बढ़ा कर 3 से 18 वर्ष कर दिया गया है | इसके सम्बन्ध में अभी सविधान में कोई परिवर्तन
नहीं किया गया है लेकिन मुझे पूरी उम्मीद है की यह कर दिया जायेगा | सरकार अभी प्री प्राइमरी
को आंगनवाड़ी के द्वारा शिक्षा देना चाहती है जो की कई राज्यों में पहले से ही चल रही है |
बोर्ड परीक्षा को लेकर बदलाव
10 और 12 की परीक्षा पहले जैसी ही रहेगी लेकिन इनकी अहमियत को कम कर दिया जायेगा जैसे
की 10वि कक्षा के अंक के आधार पर 12 की कक्षा में विषय दिए जाते थे अब सिर्फ बच्चो के नालेज
पर बल दिया जायेगा और साल में दो बार बोर्ड परीक्षा कराई जायेगी जिसमे अच्छा रहेगा उसे आप
अंतिम मन सकते है |
11 और 12 में अभी तक जिस तरह आप अपनी स्ट्रीम चुनते थे जैसा की साइंस, आर्ट , ये अब
समाप्त
हो जायेगा अब आप चाहे तो Physics and Chemistry के साथ History भी पढ़ सकते है |
जो भी Co-curriculum के विषय है जैसे की Sports उनको भी
बराबर का दर्जा दिया जायेगा जैसा की Physics and Chemistry को दिया जाता है |
>प्राथमिक स्तर पर 100
साक्षरता के लिए
काफी जोर दिया गया है।
सकल
नामांकन अनुपात (Gross enrolment
ratio)
2035 तक सकल नामांकन अनुपात 100% करने का लक्ष्य रखा गया है, जो अभी तक 50 % था इसका मतलब जो बच्चे प्राथमिक स्तर में प्रवेश लेता थे वह सेकेंडरी स्तर में जाते जाते आधे हो जाते है|
भाषा (Language)
जिस भाषा में
बच्चों को पढ़ाई करवाई जाए वह हमेशा से विवादास्पद रहा है चाहे वह पुरानी शिक्षा
नीति हो लेकिन नई शिक्षा
नीति में बच्चों की पढ़ाई जितना हो सके कक्षा 5 तक तो जरूर उनकी
मातृभाषा में होनी चाहिए आगे भी आप पढ़ा सकते हैं |
पुरानी शिक्षा नीति में 3 भाषा सूत्र (थ्री लैंग्वेज फॉर्मूला) था
और अब नई शिक्षा नीति में भी चालू रहेगा नई शिक्षा नीति यह कहती है कि 3 भाषा में 2 भाषा भारतीय होनी चाहिए उदाहरण के लिए
तमिलनाडु में एक भाषा तमिल दूसरी इंग्लिश तो तीसरी फ्रेंच नहीं हो सकती तीसरी
इंग्लिश, हिंदी या संस्कृत या भारत की कोई भाषा हो सकती है| यहां पर भी यह सिर्फ
एक दिशा निर्देश दिया जा रहा है केंद्र
सरकार इसे अनिवार्यनहीं बना सकती है |
कालेज में प्रवेश
परीक्षा
अब विश्वविद्यालय में
प्रवेश के लिए पूरे देश में एक सामान प्रवेश परीक्षा होगी इसे सामान्य प्रवेश
परीक्षा कहेंगे (common
entrance exam) और यह नेशनल
टेस्टिंग एजेंसी (National
Testing Agency, NTA) द्वारा कराई जाएगी इसके अंक को देशभर
के सभी विश्वविद्यालय मानेंगे इसमें एक कॉमन एप्टिट्यूड टेस्ट (common aptitude test) होगा दूसरा विषय का पेपर होगा यह परीक्षा साल में दो बार कराई
जाएगी|
यह देश के सभी विश्वविद्यालय के लिये अनिवार्य नहीं
होगा केंद सरकार सिर्फ दिशा निर्देश देगी
|
>: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की जगह हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (HECI) के गठन होगा जो सारे शिक्षा संस्थान को नियंत्रित करेगा सरकार के अनुसार, HECI के गठन से
उच्च शिक्षा प्रणाली के नियमन में बड़े सुधार लाए जा सकेंगे। साथ ही शिक्षण
संस्थानों को ज्यादा स्वायत्ता देने और बेहतर अकादमिक परिणाम प्राप्त करने में मदद
मिलेगी।
> धीरे धीरे 15 साल में सभी संबंध (Affiliation) समाप्त कर दिया जायेगे
4 Year Course (4 Year
Graduate Programme )
अभी तक 3 साल ग्रेजुएट और 2 साल मास्टर डिग्री होती थी लेकिन अब
अंडर ग्रेजुएट (Under graduate degree) डिग्री 4 साल का होगा
उदाहरण के लिये अगर
हमने हिस्ट्री ऑनर में 4 साल कोर्स के लिये एडमिशन लिया लेकिन हमने एक साल बाद इसे छोड़
दिया तो हमें एक साल का प्रमाण पत्र मिल जाएगा, अगर हम ने 2 साल पढ़ा तो
डिप्लोमा का प्रमाण पत्र मिलेगा 3 साल पूरा करेंगे तो मैं बैचलर डिग्री मिल जायेगा
और 4 वर्ष पूरा कर लिया तो बैचलर डिग्री के साथ रिसर्च की भी डिग्री मिल जाएगी |
Academic bank of credit
Academic bank of credit लागु होने के बाद अगर किसी ने कोई डिग्री सुरु
की और बिच में उसे छोड़ दिया तो Academic bank of credit के
अनुसार आप ने जहा तक पढ़ा है उसका क्रेडिट नंबर आप के बैंक में स्टोर हो जायेगा और
जब आप दुबारा से अपनी पढाई सुरु करेगे तो वह नम्बर आप अपने बैंक से लेकर आगे की
पढाई शुरू करलेगें फिर शुरू से आप को पढाई नहीं करनी पड़ेगी उच्च शिक्षा में मल्टीपल इंट्री और
एग्जिट का विकल्प इसका मतलब अभी भी पढाई शुरू
कर सकते है और कभी भी बंद कर सकते है |
M.Phil
डिग्री समाप्त
भारत में B.A, M.A के बाद P.hD. करने
के लिये बिच में M.Phil
करना होता थे जिससे P.hD.
में पेपर वर्क कम हो लेकिन अब M.Phil डिग्री को समाप्त कर दिया गया है |
नोट विदेशी कालेज और विश्विद्यालय भारत में अपना कैम्पस खोल सकते है |
तकनिकी
शिक्षा (Technology
Education )
एक National
Education Technology Forum (NETF)
बनाया जायेगा जिसमे
1- 1. Online
Course को बढ़ावा दिया जायेगा
2- 2. दिव्यांग
अनुकूल साफ्टवेयर होगे
3- 3. E-Conten
अलग अलग भाषा में होगे
21वीं सदी के चुनौती से निपटने के लिये साफ्टवेयर बनाये
जायेगे| यह शिक्षा निति कोरोना वायरस के पहले बन चुकी थी लेकिन कोरोना वायरस के
संकट को देखते हुए आगे की तयारी के लिये कुछ बिंदु जोड़े गये है |
अध्यापक की न्युक्ति के सम्बन्ध में
NEP यह कहती है की जितने भी बदलाव आये है या आ रहे है उसमे
शिक्षक को केंद्र में रखा जाता है |
जो अभी तक CTET या अलग-अलग राज्यों में TET होते है उनमे कुछ बदलाव होगा अब जो
प्रश्न आयेगे वे अच्छे लेवल के होगे| अब सभी स्तर पर TET का आयोजन किया जायेगा |
Ø अध्यापक का तबादला कम किया जायेगा उन्हें अलग अलग
डियूटी से मुक्त किया जायेगा
Ø शिक्षा में भी कुछ बदलाव होगा अब B.Ed. चार साल का
करना होगा यानि 12th
कक्षा के बाद सीधे 4 वर्ष का Integrated B.Ed. किया जा सकेगा |
वित्त (Finance)
देश में शिक्षा पर खर्च GDP का 6% होना चाहिए ऐसा अभी तक सभी शिक्षा निति में कहा गया है
लेकिन अभी तक ऐसा हो नहीं पाया है अभी 4.43% GDP का खर्च हो रहा है | इसका फिर से 6%
करने का लक्ष्य रखा गया है
|
Ø हमारे अनुसार पुरे शिक्षा निति में हमारे अनुसार सबसे बड़ा विवादास्पद यह है की यह सिर्फ दिशा निर्देश
है सभी राज्य को क्योंकि राज्यों को भी यह अधिकार है की वे शिक्षा पर कानून बना सकते है, लेकिन
अ अभी तक भारत में ऐसा हुआ
है की केंद्र द्वारा बनाये शिक्षा निति को राज्य मानते है |
यह सम्पूर्ण लेखन मेरे स्वंय के द्वारा किया गया है अगर इसमे कही कमी रह गई हो तो आप सब
अपने बहुमूल्य सुझाव दे सकते है |
लेखक
गिरीश शर्मा
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